Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -03-May-2022 एकांत

कभी घर भी भरा रहता था और मन भी 
आज तो घर और मन दोनों ही खाली हैं 

किसी के पास दो पल की फुरसत नहीं 
आज हर आदमी फिरता यहां सवाली है 

ममता का सागर उफनता था जहां कभी
उस मां का दिल रीती गागर सा खाली है 

मियां बीवी में बोलचाल अब न के बराबर है
मोबाइल में सबने अपनी दुनिया बसा ली है

भीड़ में भी खुद को अकेला पाता है आदमी 
दौलत से लबरेज पर दिल का कोना खाली है

कभी एकांत में दिल से साक्षात्कार करना "हरि"
जो मुस्कान चेहरे पे सजी है, वो कितनी जाली है

हरिशंकर गोयल "हरि" 
3.5.22 


   19
13 Comments

Shrishti pandey

04-May-2022 11:04 AM

Nice

Reply

Punam verma

04-May-2022 10:36 AM

Nice

Reply

Swati chourasia

04-May-2022 08:12 AM

बहुत खूब 👌

Reply